संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर विपक्ष की चिंताएं
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर चर्चा के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की। इन सांसदों में वे सदस्य भी शामिल थे, जो इस विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति का हिस्सा हैं। उन्होंने विधेयक के विभिन्न प्रावधानों को लेकर अपनी गंभीर चिंताएं व्यक्त कीं।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान और विपक्ष की आपत्तियां
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में सुधार लाना और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी बनाना है। लेकिन, विपक्षी सांसदों का मानना है कि इसमें कुछ प्रावधान ऐसे हैं जो वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को कम कर सकते हैं और सरकार का हस्तक्षेप बढ़ा सकते हैं।
- धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रभाव: विपक्षी सांसदों का कहना है कि यह विधेयक धार्मिक संस्थाओं के अधिकारों में हस्तक्षेप कर सकता है।
- स्वायत्तता की कमी: वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी नियंत्रण बढ़ने से बोर्डों की स्वतंत्रता प्रभावित होने की आशंका है।
लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात का उद्देश्य
विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष से इस मामले को गंभीरता से लेने का अनुरोध किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस विधेयक पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा और उनकी चिंताओं को संसद में प्रभावी तरीके से उठाया जाएगा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों को आश्वस्त किया कि सरकार और विपक्ष के बीच संवाद सुनिश्चित किया जाएगा और विधेयक पर सभी पक्षों की राय को ध्यान में रखकर चर्चा की जाएगी।
विपक्ष की रणनीति और एकजुटता
विपक्षी दलों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ एकजुट रुख अपनाया है। उनका मानना है कि यह विधेयक समुदायों के धार्मिक अधिकारों में अनावश्यक हस्तक्षेप करता है। उन्होंने इस मुद्दे को संसद में उठाने और इसके खिलाफ रणनीति बनाने का संकल्प लिया है।
यह मुलाकात विपक्ष की एकजुटता और उनकी चिंताओं को उजागर करने का एक अहम कदम है। अगले सत्र में इस विधेयक पर होने वाली बहस पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।